हर एक नदिया के होंठों पे समंदर का तराना है,
यहाँ फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है |
वही बातें पुरानी थी, वही किस्सा पुराना है,
तुम्हारे और मेरे बीच में फिर से ज़माना है ||
-डॉक्टर कुमार विश्वास
Friday, June 1, 2007
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