Friday, June 1, 2007

जिसे ले गई हैं अभी हवा,
वह वरक़ था दिल की किताब का |
कहीं आँसुओं से मिटा हुआ,
कहीं आँसुओं से लिखा हुआ ||
-बशीर बद्र

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