Thursday, August 2, 2007

कहते हैं
टूटते तारे को देख कर,
जो भी माँगो
मिल जाता है ।
मुझे इंतज़ार है
सूरज के टूटने का
क्योंकि मेरी मांगे
कुछ ज्यादा ही बड़ी हैं ।
- गौरव चौहान

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