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Kaavya-Sangrah
Sunday, July 8, 2007
यहाँ
मेरा
कोई
अपना
नहीं
है
,
चलो
अच्छा
है
कुछ
खतरा
नहीं
है
|
बिछड़
कर
मुझसे
'
तारिक़
'
जी
तो
लोगे
,
मगर
यह
फैसला
अच्छा
नहीं
है
|
-'
तारिक़
'
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"नौशाह हूँ उस कौम का, कहते हें जिसको शायरी,... है आरजू, मुझको खुदा दे इस अदा में माहिरी|||"
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