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Kaavya-Sangrah
Saturday, May 26, 2007
बेखुदी
बेसबब
नहीं
गा़लिब
,
कुछ
तो
हैं
जिसकी
पर्दादारी
हैं
|
-
मिर्ज़ा
असदुल्लाह
खाँ
'
गा़लिब
'
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"नौशाह हूँ उस कौम का, कहते हें जिसको शायरी,... है आरजू, मुझको खुदा दे इस अदा में माहिरी|||"
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