आज ही आना तुम्हें था!!!!
आज मैं पहले-पहल
कुछ घूँट मधु पीने चला था,
पास मेरे आज ही
हे विश्व ! आ जाना तुम्हें था |
आज ही आना तुम्हें था...
तुम बडे नाज़ुक समय में
मानवों को हो पकड़ते,
हे नियति के व्यंग !
मैंने क्यों ना पहचाना तुम्हें था |
आज ही आना तुम्हें था!!!!!
-हरिवंश राय बच्चन
Thursday, May 24, 2007
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